ॐ तरुल तरुल वितरुल वितरुल सर्वविषघातक सर्वभूतविद्रावक ज्वलितानलविस्फुलिङ्गाट्टहास केसरातोपाप्रवितकाय वज्रक्षुरनिर्गतित चलितवसुधातल बज्रोदश्वसत हासित-मरुतक्षतिप्रशमनकर परदुष्टविघ्नान् संभक्षणकर स्वविद्योपदेशकर परमशान्तिकर बुद्ध बुद्ध बोधयामिति।
भगवन् हयग्रीव सर्वविद्याहृदयमावर्तयिष्यामि। खाद खाद महारौद्रमन्त्रेण। रक्ष रक्ष आत्मस्वहितान् मन्त्रेण। सिध्य सिध्य सर्वकर्मसु मे सिद्धे देहि देहि। आवेश आवेश प्रवेश प्रवेश सर्वग्रहेषु अप्रतिहत। धुन धुन विधुन विधुन मथ मथ प्रमथ प्रमथ सर्ववरोपग्रम। कृतकखोर्दो। दुर्लङ्घित मूषिक। विषकर विषद्रंष्ट्र विषचूर्णयो अभिचारविषकरण। सिध्य अञ्जन चक्षुर्मोहन। चित्तविक्षोभणकर। नित्यापरप्रेक्षण त्रासय त्रासय